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कैसा है तुम्हारा मन - फूल, या धूल? || आचार्य प्रशांत, दादू दयाल पर (2017)

2019-11-28 1 Dailymotion

वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग, अद्वैत बोधशिविर
९ दिसंबर २०१७
मुक्तेश्वर, नैनिताल

दोहा:
मन माणिक मूरख राखि रे,
जन-जन हाथ न देहु।
दादू पारिख जौहरी,
राम साध होई लेहु ।।
~ संत दादू दयाल

प्रसंग:
मन क्या है?
कैसा है तुम्हारा मन - फूल, या धूल?
"मन को माणिक क्यों बोला गया है?
मन माणिक कब है?
मन को कीमती क्यों बताये है संत दादू दयाल?
मन माणिक मूरख राखि रे, जन-जन हाथ न देहु। इस पंक्ति का क्या अर्थ है?

संगीत: मिलिंद दाते