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सोमवती अमावस्या पर वट सावित्री व्रत:महिलाओं ने पति की दीर्घायु के लिए की पूजा, जानें सावित्री-सत्यवान की कथा

2025-05-26 38 Dailymotion

सोमवती अमावस्या और वट सावित्री व्रत पूरे देश में श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है. वट सावित्री व्रत के मौके पर सोमवार को प्रयागराज में गंगा तट पर बड़ी तादाद में श्रद्धालु जमा हुए. हिंदू महीने ज्येष्ठ की अमावस्या के दिन मनाया जाना वाला ये व्रत इस बार सोमवती अमावस्या के साथ पड़ रहा है. ये त्यौहार महाभारत में सावित्री और सत्यवान की कहानी पर आधारित है. 

कहा जाता है कि जब सत्यवान की मृत्यु हो गई तो उनकी पत्नी सावित्री प्राण लेकर जा रहे यम देवता के पीछे चली गईं और अपनी बुद्धि, भक्ति से अपने पति के प्राण लौटाने के लिए यम देवता को मना लिया.

तीर्थ पुरोहित गोपाल जी ने कहा कि, "ये सोमवती अमावस्या और वट सावित्री का जो आज संयोग है ये बड़ा अतिसुंदर और पूर्णदायक है. जो लोग इस ऐसे अवसर पर खासकर ये त्योहार तो महिलाओं का है. वट सावित्री सुहाग की कामना, पुत्रों की कामना, परिवार के मंगल कार्य हेतु अक्षय वट की परिक्रमा की जाती है 108 जो 108 ना कर सकें वो कम से कम 54, 27 या 9 कर लें तो उन्हें भी पूरे फल की प्राप्ति होगी."

वट सावित्री व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और खुशहाली के लिए रखती हैं. इस पावन मौके पर पवित्र गंगा में स्नान के लिए सैकड़ों श्रद्धालु सुबह से ही हरिद्वार में पवित्र हर की पौड़ी पर जमा हुए. कहा जाता है कि सावित्री को एक ऋषि ने पहले ही बता दिया था कि उनके पति सत्यवान की मृत्यु एक साल के के अंदर हो जाएगी. भविष्यवाणी के दिन मृत्यु के देवता यम सत्यवान के प्राण लेने पहुंचे लेकिन सावित्री उनके पीछे चली गई.

जब यम ने सावित्री को वापस लौटने के लिए कहा तो उसने कहा कि उनका पति जहां भी जाएगा उसके पीछे चलना उसका धर्म है. उसके हठ से प्रभावित होकर यम ने उसे तीन वरदान दिए. एक वरदान में सावित्री ने सौ पुत्रों की माँ बनने का वरदान मांगा. ये उसके पति के बिना संभव नहीं था जिससे यम को सत्यवान के प्राण लौटाने पर मजबूर होना पड़ा.

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