64 वर्षीय प्रेमचंद जी, जिन्हें पहले से क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़ (CKD), हाई ब्लड प्रेशर (HTN) और टाइप 2 डायबिटीज़ था, लंबे समय से डायलिसिस पर निर्भर थे और सप्ताह में दो बार डायलिसिस करवाना पड़ता था। इलाज शुरू होने से पहले उन्हें सामान्य कमजोरी, भूख की कमी, सांस फूलना, मतली, मुंह का सूखापन और दोनों पैरों में सूजन जैसी कई गंभीर समस्याएं थीं। 20 फरवरी 2025 को हुई जांच में उनका सीरम क्रिएटिनिन 8.3 और यूरिया 153 पाया गया, जो किडनी की खराब स्थिति को दर्शाता था।
लेकिन समग्र चिकित्सा और आयुर्वेदिक देखभाल के माध्यम से उन्हें अद्भुत सुधार मिला। 15 मई 2025 को की गई जांच में उनका सीरम क्रिएटिनिन घटकर 5.51 और यूरिया 105.30 तक आ गया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले तीन महीनों से उन्हें डायलिसिस की आवश्यकता नहीं पड़ी है और वे अब पूर्णतः लक्षणमुक्त हैं। शुरुआत में वे किडनी और डायबिटीज़ के लिए एलोपैथिक दवाएं ले रहे थे, लेकिन अब किसी भी एलोपैथिक दवा का सेवन नहीं कर रहे हैं और उनका शुगर स्तर भी पूरी तरह नियंत्रित है।
इस उपचार प्रक्रिया में डॉ. प्रियंका बिस्वास (कंसल्टेंट डॉक्टर), डॉ. गोविंद शुक्ला और सभी आईपीडी डॉक्टरों का विशेष योगदान रहा। यह केस न केवल प्राकृतिक चिकित्सा की प्रभावशीलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि गंभीर बीमारियों में भी सही दिशा और देखभाल से बिना डायलिसिस के जीवन को सामान्य बनाया जा सकता है।