ओडिशा के पुरी में होने वाला भगवान जगन्नाथ का सालाना रथयात्रा उत्सव बस अब कुछ ही दिन दूर है. भगवान जगन्नाथ, उनके भाई भगवान बलभद्र और उनकी बहन देवी सुभद्रा के खास रथों को तैयार करने में जुटे कारीगरों के हाथ नहीं रुक रहे। वे दिन-रात इन रथों को तैयार करने में जुटे हैं.
रथों का लकड़ी से जुड़ा काम लगभग पूरा हो चुका है. अब इसे रंगा और बेहतरीन तरीके से सजाने का काम जारी है. बारीक से बारीक चीज का ध्यान रखा जा रहा है. उत्सव के लिए रथों को नदी में बहकर आए खास पेड़ों की लकड़ी के टुकडों से बनाया जाता है. रथ निर्माण का काम शुरू होने से पहले खास अनुष्ठान किए जाते हैं. साथ ही सामुदायिक भागीदारी और सटीकता का भी ध्यान रखा जाता है.
श्रद्धालुओं द्वारा खींचा जाने वाला भगवान बलभद्र का तालध्वज रथ इस खास रथ यात्रा के दिन सबसे आगे होता है. इसके पीछे देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ को ले जाने वाले दो और रथ होते हैं. भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी गुंडिचा मंदिर में अपनी मौसी से मिलने जाते हैं। वे जगन्नाथ मंदिर लौटने से पहले वहां नौ दिनों तक रुकते हैं. पुरी में इस साल रथ यात्रा 27 जून को होगी.